- Get link
- X
- Other Apps
Featured post
गुरुजी द्वारा स्कूल में बच्चों को पीटने-दुर्व्यवहार करने पर हो सकती है सजा: नौकरी जा सकती है, जुर्माना और जेल भी संभव
- Get link
- X
- Other Apps
गुरुजी द्वारा स्कूल में बच्चों को पीटने-दुर्व्यवहार करने पर हो सकती है सजा: नौकरी जा सकती है, जुर्माना और जेल भी संभव
लेखक: दयानंद चौधरी, प्रकाशित: shrinews
नई दिल्ली,
27 अगस्त 2023,
समय: 6:10 PM IST
मुजफ्फरनगर स्थित एक स्कूल में एक बच्चे की पिटाई का वीडियो वायरल हुआ था। इसमें एक टीचर बच्चों को एक मुस्लिम बच्चे को थप्पड़ मारने के लिए उकसाती नजर आ रही थी। इस घटना ने भारी आक्रोश उत्पन्न किया था और राजनीतिक विवाद को जन्म दिया था। पुलिस ने जांच के बाद आरोपी टीचर के खिलाफ केस दर्ज कर लिया था। आइए जानते हैं कि स्कूल में बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करने पर क्या-क्या कानूनी प्रावधान हैं।
कानूनी प्रावधान
भारतीय संविधान के आर्टिकल 21 के तहत सभी नागरिकों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है। इसके अलावा, राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त और अच्छी शिक्षा पाने का अधिकार है। राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 की धारा 17(1) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी भी बच्चे को शारीरिक सजा या मानसिक प्रताड़ना नहीं दी जा सकती। ऐसा करने पर संबंधित शिक्षक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 की धारा 23 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी बच्चे या किशोर पर हमला करता है, उसे शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना देता है, तो उसे 6 महीने की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। यह धारा माता-पिता, गार्जियन और शिक्षकों पर भी लागू होती है।
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 की धारा 82 के तहत, शारीरिक दंड देने पर शिक्षक पर 10 हजार रुपये का जुर्माना और दूसरी बार दोष सिद्ध होने पर तीन माह की जेल हो सकती है। इसके अलावा, जांच में सहयोग न करने पर भी संबंधित व्यक्ति को तीन माह की सजा और संस्था पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
शिकायत और सजा
बच्चों की पिटाई के मामले में माता-पिता पुलिस में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आईपीसी की धारा 323 (मारपीट), 324 (जख्मी करना), और 325 (गंभीर जख्म पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज हो सकता है। धारा-325 के तहत आरोप सिद्ध होने पर 7 साल तक की जेल का प्रावधान है। यदि बच्चे पर जानलेवा हमला किया गया हो तो धारा-307 लागू हो सकती है, जिसमें अधिकतम 10 साल या उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।
NCPCR की गाइडलाइंस
नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) के निर्देशानुसार, हर स्कूल में कॉर्पोरल पनिशमेंट मॉनिटरिंग सेल (CPMC) का गठन करना आवश्यक है। इस सेल का कार्य कॉर्पोरल पनिशमेंट से संबंधित शिकायतों की जांच करना है। यदि टीचर की पिटाई से किसी छात्र की मौत हो जाती है या वह आत्महत्या कर लेता है, तो संबंधित टीचर को तुरंत सस्पेंड कर दिया जाएगा।
सीबीएसई की गाइडलाइंस
सीबीएसई ने भी बच्चों की सुरक्षा के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं। इनका उल्लंघन होने पर स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है। स्कूल में काम करने वाले स्टाफ का स्थानीय पुलिस से वेरिफिकेशन होना चाहिए और सेफ्टी ऑडिट भी कराया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
स्कूल में बच्चों के साथ किसी भी प्रकार की प्रताड़ना को कॉर्पोरल पनिशमेंट माना जाता है। यह स्कूल की जिम्मेदारी है कि वह इन नियमों का पालन करे और दोषी शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे। 2007 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 65% बच्चे कॉर्पोरल पनिशमेंट का शिकार होते हैं।
इस प्रकार, शिक्षकों को बच्चों के साथ किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार से बचना चाहिए, अन्यथा उन्हें कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है।